भारतीय संस्कृति और जनचेतना को अक्षुण्ण रखते हुए नव वर्ष का सिलसिला का बोध मैं अपने इस कविता के माध्यम से कर रहा हूं। उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी।


 

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